Benefits Of Turmeric in Hindi:- हल्दी अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों में कीटाणुरोधक (एंटीसेप्टिक) तथा रक्त-शोधक है। दूल्हे को हल्दी के उबटन का लेपकर स्नान कराने के पीछे उसे नीरोग रखने तथा उसमें रोग निरोधक शक्ति उत्पन्न करना ही मुख्य उद्देश्य होता है। हल्दी का स्वभाव गर्म है, अतः यह शक्तिवर्धक एवं रक्त परिवहन को सुव्यवस्थित करने में भी सहायक है।
हल्दी के सेवन से बुढ़ापा दूर रहता है, रोग शरीर में लम्बे समय तक नहीं रहते। हल्दी स्वास्थ्यरक्षक, मांगलिक और सौभाग्यसूचक है, इसलिए शुभ-कार्य एवं विवाह आदि में काम में ली जाती है। हल्दी पेनीसिलिन तथा स्ट्रेप्टोमाइसिन की भाँति कीटाणुनाशक है।
हल्दी में उपलब्ध गुणकारी तत्त्व – Benefits Of Turmeric
हल्दी में एक विशेष प्रकार का उड़नशील तेल 5.8% होता है। तेल में करक्यूमिन नामक टरपेन्ट (Terpent) होता है जो रक्त की धमनियों में एकत्र कोलेस्ट्रॉल को घोलने की क्षमता रखता है। इसके अतिरिक्त हल्दी में विटामिन ‘ए’, प्रोटीन 6.3%, कार्बोहाइड्रेट 69.4% और खनिज तत्त्व 3.5% मात्रा में होते हैं।
हल्दी में जीवाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। हल्दी रक्त को शुद्ध करती है। शुक्र (वीर्य) संबंधी विकारों में हल्दी से बहुत लाभ होता है। यह वात विकारों को नष्ट करती है। हल्दी कटु और तिक्त होने के कारण रसयुक्त, रुक्ष, उष्ण वीर्य, कफ पित्त नाशक, त्वचा व रक्तविकार-नाशक होती है। इसके सेवन से शोथ, रक्ताल्पता में बहुत लाभ होता है। हल्दी व्रणशोधक होने के कारण व्रण, फोड़े-फुंसियों को नष्ट करती है।
हल्दी खाने / सेवन का सही तरीका
हल्दी का सेवन अल्प मात्रा में आरम्भ करते हुए धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जायें और लम्बे समय तक सेवन करते रहें। 1 या 2 चम्मच हल्दी से अधिक एक बार में सेवन नहीं करें। हल्दी का सेवन पानी या दूध से करें। रोगग्रस्त अंग पर लगायें, लेप करें। बाह्य लेप और आन्तरिक सेवन दोनों प्रकार से प्रयोग करने पर शीघ्र लाभ होता है। हल्दी पीसकर सेवन करें। इस लेख में हल्दी 1 चम्मच से तात्पर्य 1 चम्मच पिसी हुई हल्दी से है। नित्य मसाले के रूप में खाई जाने वाली हल्दी के उपयोग यहाँ दिए जा रहे हैं। हृदय रोगी हल्दी का प्रयोग कम-से-कम करें। दर्दों में आमी हल्दी अधिक लाभ करती है। यदि यह उपलब्ध नहीं हो तो नित्य काम आने वाली हल्दी प्रयोग करें।

कैंसर-हल्दी में एक विशेष प्रकार का अल्कलायड (क्षारीय तत्त्व) कर्कुमिन तत्त्व पाया जाता है जो कैंसर विरोधी है। हल्दी के सेवन से शरीर में एक विशेष तत्त्व म्यूटाजेन का निर्माण नहीं होता। यह शरीर की कोशिकाओं के ‘डीएनए’ को क्षति पहुँचाता है। कैंसर रोगी आधा चम्मच हल्दी एक बार पानी या दूध से सेवन करें।
अम्लपित्त (Acidity)—पेट में जलन, खट्टी डकारें, वायु इकट्ठी होने पर समान मात्रा में हल्दी और काली मुनक्का, इन दोनों को पीसकर गोलियाँ बनाकर 4-4 गोली नित्य 3 बार खाने से लाभ होता है।
पीलिया-2 चम्मच हल्दी, आधा किलो बिना मलाई वाले दही में मिलाकर दिन में 3 बार खायें। पीलिया में लाभ होगा।
ज्वर- 1 गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच हल्दी, 10 कालीमिर्च (पिसी हुई) मिलाकर सुबह-शाम पियें। सर्दी लगकर आने वाला ज्वर (Fever) ठीक हो जायेगा। गला बैठा हो, आवाज बिगड़ गई हो तो वह भी ठीक हो जायेगी।
बवासीर, अर्श (Piles)—हल्दी की गाँठ पीसकर बवासीर पर लगाने से लाभ होता है।
दस्त–बासी भोजन, खान-पान में गड़बड़ी से आँतें खराब होकर दस्त लग जाते हैं। हल्दी आँतों के विष को दूर करती है। आँतों के किसी भी रोग, दस्त होने पर, चम्मच हल्दी, 1 कप पानी में घोलकर, नित्य 2 बार पीने से आँतों के रोग ठीक हो जाते हैं।पुराने दस्तों में 1 चम्मच हल्दी, 1 कप छाछ में घोलकर नित्य 2 बार कुछ सप्ताह पीने से लाभ होता है
बिवाइयाँ–कारण-शरीर में तैलीय पदार्थों की कमी, पौष्टिक तत्त्वों के अभाव, दुर्बल पाचनशक्ति तथा राख, तेजाब, मिट्टी, चूना, पानी के निरन्तर सम्पर्क में रहने से बिवाइयाँ फट जाती हैं। कुछ लोग इसे एलर्जी का प्रभाव भी मानते हैं। बिवाइयाँ फटने का प्रधान कारण पाचनशक्ति की दुर्बलता और इसका गड़बड़ा जाना है। पेट में कीड़े होने से भी इसका आक्रमण होता है। कभी-कभी इसका प्रभाव इतना तीखा होता है कि प्रभावित अगों से खून रिसने लगता है।
उपचार-सहने योग्य गर्म पानी में नमक डालकर 15 मिनट हाथ अथवा पैर, जो भी प्रभावित हों, डुबोकर रखें।
कच्चे पपीते को चटनी की तरह पीसकर बनी हुई चटनी के वजन का चौथाई भाग सरसों के तेल में करीब दो बड़े चम्मच पिसी हुई हल्दी मिलाकर हलुए की तरह पकायें तथा इसे बिवाईग्रस्त स्थानों पर लेप करके अच्छी तरह ढककर पट्टी बाँध लें। दो या तीन दिन इस क्रिया को दुहराएँ। कैसी भी तेज बिवाई फटी हो, ठीक हो जायेगी।
हाथ-पैर फटना—कच्चे दूध में पिसी हुई हल्दी मिलाकर मलने से त्वचा मुलायम होती है। हाथ-पैर नहीं फटते। यदि फट गए हों तो उनमें हल्दी भर दें। ठीक हो जायेंगे। होंठ फटना- सरसों के तेल में जरा-सी हल्दी मिलाकर होंठ तथा नाभि पर लगायें। होंठ फटना बन्द हो जायेंगे।
रक्ताल्पता – हल्दी में लौह तत्त्व होता है। दो चम्मच कच्ची हल्दी का रस, दो चम्मच शहद, चौथाई कप पानी में मिलाकर नित्य दो बार पियें। इससे रक्त की कमी दूर होती है।
कान छेदना–कान छेदने के बाद होने वाले दर्द पर चूहे की मींगनी और पानी से पीसकर लेप करने से दर्द दूर हो जाता है।
दाँत हिलना-कोयला जलाकर दहकते हुये कोयलों पर हल्दी की गाँठें डालकर जलायें। जली हुई हल्दी की गाँठों को किसी बर्तन से ढक दें। ये बुझकर हल्दी का कोयला बन जायेंगे। इसी प्रकार गैस पर जलाकर भी कोयले बना सकते हैं। इसी जली हुई हल्दी को पीसकर उसमें समान मात्रा में पिसी हुई अजवायन मिला लें। इससे नित्य मञ्जन करें। हिलते दाँत मजबूत हो जायेंगे। तवे पर पिसी हुई हल्दी सेंककर पज्जन करने से दाँत दर्द ठीक हो जाता है।
दो चम्मच पिसी हुई हल्दी, दो चम्मच पिसी हुई सफेद फिटकरी, 100 ग्राम बहुत बारीक पिसा हुआ मेदा की चलनी से छना हुआ नमक—ये सब मिलाकर रख लें। आधा चम्मच यह पाउडर 10 बूँद सरसों का तेल मिलाकर मञ्जन करें। दाँतों में पानी लगना, हिलना, दर्द दूर होगा। दाँत साफ होकर चमकने लगेंगे।
दाँतों का पीलापन- सरसों के तेल में हल्दी और नमक मिलाकर मञ्जन करने से दाँत साफ हो जाते हैं, मसूढ़ों की सूजन व पीलापन दूर हो जाता है। विधि – 20 ग्राम हल्दी + 50 ग्राम सेंधा नमक बहुत बारीक पीसकर 30 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर रख लें। इससे नित्य दो बार मञ्जन करें।
दाँत रोग– हल्दी, नमक और सरसों का तेल मिलाकर नित्य मञ्जन करने से दाँत मजबूत होते हैं। हल्दी को आग पर भूनकर बारीक पीस लें। इसे दुखते दाँतों पर मलने से दर्द ठीक हो जाता है। दाँतों के कीड़े मर जाते हैं। केवल हल्दी से मञ्जन करने से भी दाँत दर्द ठीक होता है। दर्द वाले दाँत के नीचे हल्दी का टुकड़ा दबा लें।
दाँतों में कीड़े लगने पर थोड़ी-सी हल्दी को जल में घोलकर थोड़ा-सा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दर्द दूर होता है। गरारे करने से स्वर भंग की विकृति ठीक हो जाती है। हल्के गर्म जल का प्रयोग करें।
दाँत का दर्द-हल्दी और हींग दोनों पीसकर जरा-सा पानी डालकर गोली बना लें और दुखते दाँत के नीचे रखकर दबा लें। इससे दाँत का दर्द ठीक हो जायेगा।
गर्भ न ठहरना—हल्दी की गाँठें पीसकर, छानकर 6 ग्राम की पानी के साथ फंकी जब तक मासिक धर्म चले, लेते रहने से गर्भ नहीं ठहरता, ऐसी मान्यता है।
गैस-पेट में जब वायु एकत्रित हो जाती है तो बड़ा दर्द होता है। ऐसी स्थिति में पिसी हुई हल्दी और नमक 3-3 ग्राम, गर्म पानी के साथ फंकी लें, तुरन्त लाभ होगा।
आँख दुखना-(1) पिसी हल्दी में पानी डालकर सफेद पतला कपड़ा रंग लें। इस कपड़े को दुखती आँखों पर रखकर ऊपर कपड़ा बाँधे। इससे आँखों का दर्द कम हो जाता है। (2) आधा चम्मच हल्दी में 5 बूँदें घी की डालकर गर्म करके पलकों पर लगायें।